Tuesday, December 30, 2014

श्वेता

एक डब्बे में रौशनी भर कर लाई थी 
की अपने चिराग से सी देगी 
तो घर में उसके उजाला हो जायेगा 
अब लौ पकड़ कर बैठी रहती है पगली 
की बखिया उधड़ गयी 
तोह उसकी रौशनी यतीम हो जाएगी। 

तेरे पैमाने से नापा  तोह बड़ा छोटा पाया उसको 
दूजे फ़क़ीर ने उसमे अपना ख़ुदा देख लिया 
तूने पुछा की उसकी मिटटी में ऐसा क्या है 
जो तेरे सोने में नहीं ?
फ़क़ीर हंस कर बोला 
जाके उन पेड़ों से पूछ 
जिनकी छाया में बैठती है वह। 

टूटे तारे बटोरती है अपने आँचल में 
और संभाल कर रख देती है अपनी किताबों के बीच 
उनसे कहती है की कुछ लव्ज़ों के दामन में 
हर टूटी चीज़ को सुकून मिल जाता है।
उसकी उम्मीद के अफाक पे कभी डूबता नहीं है सूरज 
हर शाम को उसके दर पे किनारा मिल जाता है। 

कहानियां ढूंढ़ती है अंजान  रास्तों पे 
खो जाने का डर नहीं मालूम उसको 
इतनी रौशनी है उसकी मुस्कराहट में 
अंधे कोहरों में भी उसके निशान ढूंढ लूँ। 





Wednesday, December 17, 2014

DIY Wall Christmas Tree

Made an eco friendly wall Christmas tree with newspaper and fairy lights. :)



Its very easy to make and with no special requirements. You can make it yourself if you like it. :)